Menu
blogid : 24202 postid : 1294346

नोट परिवर्तन: आर्थिक सुदृढ़ता या रुपये का अवमूल्यन

Scams in India
Scams in India
  • 2 Posts
  • 1 Comment

देश की वर्तमान सरकार जिसे मोदी सरकार भी कहा जाता है, ने दिनांक ०८ नवम्बर को काले धन पर लगाम लगाने के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था में प्रवाहमान ५०० एवम्‌ १००० के नोट को अवैध करार देकर उसे ३१ दिसम्बर २०१६ तक बैंको में जमा करवाने या बदलवाने का निर्देश देने के साथ ही २००० के नये नोट भी जारी किये हैं.
निश्चित रूप से यह एक सराहनीय कदम है़, परंतु किस हद तक?
५०० एवम्‌ १००० के नोट वापस लेने से सिर्फ जाली नोट बाहर होंगे, काला धन नही. ऐसा सुनने में आया है कि कई फैक्टरी मालिक अपने धन को अपने कर्म्चारियो के खातो में जमा करवा रहे है. ऐसे में क्या पूरा काला धन वापस आयेगा?
गौरतलब है कि नोट बंद किये जाने के एक सप्ताह बाद ही बैंको ने ७००० करोड़ का लोन राइट आफ़ कर दिया जो कि बैंक पहले भी कर सकते थे. परंतु उन्हें इंतेज़ार था सरकार के किसी ऐसे कदम का जो देश के खुदरा व्यापारियों, गृहणियो आदि के पास रखे हुये नकद क़ो बैंकों तक ला पाये. और ०८ नवम्बर २०१६ को शाम ०८.०० बजे प्रधानमंत्री द्वारा नोट वापस लिये जाने की घोषणा के बाद ही घबराये नागरिकों ने अपने अपने पैसों को बदल्वाने के लिये बैंको में लाइन लगा ली और कुछ ही दिनो में बैंको में काफी पैसे जमा हो गए.
देश में १२१ करोड़ की आबादी है और यदि प्रतिव्यक्ति ५०००० भी जमा किये जाये तो बैंको द्वारा १०% ब्याज दर पर लोन दिये जाने पर इसका २ माह का ब्याज लगभग १ लाख करोड़ रुपये होगा, इसलिये बैंकों ने पूंजी आने का रास्ता पाकर ७००० करोड़ का लोन राइट आफ़ (मिले तो भी ठीक ना मिले तो भी ठीक) कर दिया. और इस संदर्भ में वित्त मंत्री ने कहा कि लोन माफ नही राइट आफ़ किया गया. मतलब प्रयास जारी रहेगा, मिल जाये तो भी ठीक ना मिले तो भी कोई दिक्कत नहीं क्योंकि सरकार के इस कदम से बैंको के पास पर्याप्त पूंजी आ चुकी है (जिससे वो बड़े घरानों को फिर से लोन दे सकते हैं).
जहाँ तक २००० के नये नोट क सवाल है तो करेंसी नोट किसी देश की आर्थिक सुदृढ़ता का परिचायक होते हैं. आज तक मैंने नोटों की गुणवत्ता में सुधार होते ही देखा था. परंतु वर्तमान भारत सरकार द्वारा जारी किया गया २००० का नोट गुणवत्ताहीन है. ये देखने में बच्चो के चूरन वाले नोट की तरह, आकार में काफी छोटा है, क्या यह भारत की मुद्रा में अवमूल्यन का परिचायक है जैसा कि रुपये की कीमत घट्ने पर सिक्को के वजन कम होता गया था या फिर नये नोटों की छपायी में कोई बड़ा घोटाला हुआ है?
इसके अलावा २००० के नये नोट को एटीएम में लोड करने के लिये मशीन को अपग्रेड करना पड रहा है, जिसके लिये एक विशेष टीम का गठन किया गया है जिसका खर्च करोड़ों में नही तो लाखों में होगा ही. यह भी ध्यान देने लायक बात है कि मशीन नोट नही पहचानती, वो सिर्फ अलग-अलग प्रकोष्ठों से गिन कर कागज़ उठाना जानती है, तो क्या सिर्फ नोटों के घटे आकार के चलते मशीनो को अपग्रेड करना पड़ रहा है?
उधर रिज़र्व बैंक भी प्रतिदिन नये नियम जारी कर रहा है, ऐसा शायद इसलिये है क्योंकि सरकार छोटे नोट की पर्याप्त आपूर्ति नही कर पा रही है.
मुद्रा किसी देश के शक्तिबोध और सौंदर्यबोध का परिचायक है परंतु वर्तमान नोट पर मोदी सरकार द्वारा शुरु किया गया स्वच्छ भारत मिशन का लोगो एक कदम स्वच्छ्ता की ओर( जिसके लिये ०.५०% कर भी लगा दिया गया है), छाप दिया गया है. जो विदेशो में भारत के लोगों के गंदे होने का संदेश ले जायेगा ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार स्लमडाग करोड़पति आने के बाद विदेशो में भारतीयों को इंडियन कुली के स्थान पर स्लमडाग कहना शुरु कर दिया था.
ये भी ध्यातव्य है कि २००० के सभी नोट पर वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर हैं जो कि अक्टूबर में गवर्नर बने हैं, आखिर २००० के नोटो रघुराम राजन के हस्ताक्षर क्यों नही है?
पिछले ६ माह से बहस चल रही थी कि आरबीआइ का नया गवर्नर कौन होगा? और उर्जित पटेल १६ सितम्बर को गवर्नर बनाये गये.
क्या उन्होने ६ माह पहले( बिना गवर्नर बने ही) से ही नोट पर हस्ताक्षर करना शुरु कर दिया था क्योंकि कहा जा रहा कि २००० के नोट ६ माह से छप रहे थे.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh